कहानी 'गली का कुत्ता' दो सहेलियों की आपसी बात-चीत पर आधारित है. इसमें दिखाने की कोशिश की गयी है कि बच्चे कैसे सोचते हैं, उनके मन में कोई स्थाई मैल या बैर नहीं नहीं रहता. साथ ही पल में माशा, अगले पल तोला. जो बात बच्चों को सबसे अधिक सताती है वह है- किसी से भी कमतर होने की बात को स्वीकार लेना. बंटवारे और दंगो के बीच दो बच्चों की बात-चीत और किसी से कमतर न होने की जंग का नज़ारा करिये इस कहानी में.
अंदर आकार उसने सिटकिनी बंद कर मुझे एक थैला दिया और बोली- “ले, जल्दी से पहन ले जाकर बाथरूम में.”
जवाब देंहटाएंमुझे जैसे किसी पाश में बाँध लिया था किसी ने
'तू राजकुमारी है, मुझे इज्जत प्यारी है.'
पहले ही तुझमे इतना नमक भर रखा है कि बुरा हाल कर रखा है. और सुन- अभी मै ही बैठी मिलूंगी, अभी घन्टे भर तक अंदर कमरे में पिताजी की ढूंढ-ढाँढ चलेगी. कोई बिच्छू-विच्छू होगा तभी मिलेगा न- समझा?” ...best line form apradh bodh...superb.